Sawan 2025: सावन का महीना, यानी वो समय जब शिव भक्तों का दिल भक्ति में डूब जाता है! शिवालयों में जल चढ़ता है, कांवड़ यात्राएँ निकलती हैं, और हर तरफ भोलेनाथ की जय-जयकार होती है. साल 2025 में सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस पावन महीने से जुड़ी कई परंपराएँ हैं, और उन्हीं में से एक है बाल और दाढ़ी न कटवाना. आपने भी इस दौरान कई लोगों को बिना बाल कटवाए या बिना दाढ़ी बनवाए देखा होगा. लेकिन कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक वजहें, जैसा कि भोपाल निवासी ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं.
धार्मिक मान्यताएँ क्या कहती हैं?
सादगी और भक्ति: सावन का महीना शिव भक्ति के लिए होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान व्यक्ति को सादगी अपनानी चाहिए और अपने शरीर की साज-सज्जा से दूर रहना चाहिए. यह समय पूजा-पाठ, व्रत और ध्यान में लगाने का है, न कि अपनी सुंदरता निखारने का.
मन की एकाग्रता: जब हम बाल कटवाते हैं या दाढ़ी बनवाते हैं, तो इसमें समय और ध्यान दोनों लगता है. भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे इन कामों से दूर रहें और अपना पूरा ध्यान भक्ति और संयम पर केंद्रित करें. यह नियम खासकर पुरुषों के लिए माना जाता है.
तप भंग होने का डर: एक और मान्यता यह है कि शरीर पर छुरी या ब्लेड चलाना एक तरह से तप को भंग करने जैसा है. जो लोग सावन के व्रत रखते हैं, उनके लिए माना जाता है कि बाल या दाढ़ी कटवाने से उनका व्रत पूरी तरह सफल नहीं होता.
वैज्ञानिक पहलू क्या बताते हैं?
अगर हम इस परंपरा को विज्ञान की नज़र से देखें, तो इसके पीछे भी काफी ठोस तर्क हैं:
संक्रमण का खतरा: सावन का महीना बारिश का होता है, और इस दौरान वातावरण में नमी बहुत बढ़ जाती है. ऐसे में अगर बाल कटवाते या दाढ़ी बनवाते समय त्वचा पर कट लग जाए, तो संक्रमण (infection) का खतरा बढ़ जाता है.
घाव भरने में समय: मानसून में धूप कम मिलती है, जिससे घाव जल्दी नहीं भरते. अगर दाढ़ी बनवाते समय त्वचा पर कट लग जाए, तो वह लंबे समय तक ठीक नहीं होता और संक्रमण भी हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी त्वचा संवेदनशील (sensitive) होती है.
त्वचा की सुरक्षा: बाल और दाढ़ी चेहरे को बाहरी धूल और नमी से बचाने का काम करते हैं. ये एक तरह की प्राकृतिक ढाल होते हैं जो त्वचा को सुरक्षित रखते हैं. सावन में फंगल इंफेक्शन (fungal infection) और त्वचा से जुड़ी दिक्कतें बढ़ जाती हैं, ऐसे में दाढ़ी और बाल बढ़ाना शरीर को कुछ हद तक सुरक्षित रख सकता है.
तो देखा आपने, सावन में बाल और दाढ़ी न कटवाने के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. यह परंपरा हमारे पूर्वजों की समझदारी को दर्शाती है.